दिनेश त्रिवेदी को तृणमूल ने कहा धोखेबाज

बंगाल ब्यूरो 

कोलकाता। ममता बनर्जी की पार्टी से पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री और राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी का सफर आखिरकार तृणमूल के साथ खत्म हो गया। शनिवार को उन्होंने दिल्ली जाकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में पार्टी की सदस्यता ले ली। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर हमला बोला। दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस अब ममता बनर्जी की पारिवारिक पार्टी बनकर रह गई है। इसका जनता से कोई सरोकार नहीं और ना ही काम करने वाले नेताओं की कोई अहमियत है। त्रिवेदी ने कहा कि पार्टी हिंसा की संस्कृति को बढ़ावा दे रही है। छोटे से लेकर ऊंचे ओहदे तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है और जनता से कट गई है। उन्होंने पार्टी को प्राइवेट कंपनी की तरह चलाने का आरोप सीएम पर लगाते हुए इशारे इशारे में इस बात के भी संकेत दिए कि ममता बनर्जी ने अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को भविष्य के नेतृत्व के लिए तैयार करने हेतु सभी वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर तैयार किया है। जेपी नड्डा से भाजपा का झंडा लेते हुए दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में इस बार बदलाव का माहौल है और लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देखकर वोट करेंगे।
गत 12 फरवरी को अभूतपूर्व तरीके से राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान पटल पर उन्होंने इस्तीफे की घोषणा की और कहा था कि तृणमूल में उनका घर दम घुट रहा है।

हिंदी भाषी होने की वजह से भेदभाव का होते थे शिकार
– उनके करीबी सूत्रों ने बताया है कि तृणमूल के अंदर उनके साथ ऐसा बर्ताव पिछले कई सालों से हो रहा था जिसकी वजह से वह असहज महसूस कर रहे थे। ममता बनर्जी के शासनकाल में जबरन वसूली, हिंसा और भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात रही तृणमूल कांग्रेस की संस्कृति के मुताबिक उनका व्यवहार नहीं रहा है। टैक्सास यूनिवर्सिटी से स्नातक करने वाले दिनेश त्रिवेदी लंबे समय से तृणमूल कांग्रेस में उपेक्षित महसूस कर रहे थे। इसकी वजह यह थी कि वह हिंदी भाषी थे। उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि वह आदर्श की राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं। 2012 में जब वह रेल मंत्री थे और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए रेल किराए में बढ़ोतरी की घोषणा तमाम आलोचनाओं के बाद भी की, तब खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनसे नाराज हो गई थीं। खुद ममता ने मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर उन्हीं की पार्टी के एक दूसरे नेता मुकुल रॉय (अब भाजपा में हैं) को रेल मंत्री बनाने की अनुशंसा की थी जिसकी वजह से दिनेश त्रिवेदी को बिना किसी आयोजन रेल मंत्रालय से विदा कर दिया गया था। उसके बाद से ममता और दिनेश त्रिवेदी के रिश्ते कभी सामान्य नहीं रहे।

पार्टी की अनैतिक गतिविधियों पर सवाल खड़ा करने के बाद लगाए गए थे किनारे
– उन्होंने जब जब पार्टी की अनैतिक गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाई तब तब उनका पद और कद छोटा कर दिया गया। टैक्सास यूनिवर्सिटी से स्नातक और भारतीय राजनीति के प्रखर शिक्षित राजनेताओं में शामिल रहने वाले त्रिवेदी को ममता की पार्टी में बार-बार अपमान का मुंह देखना पड़ा था जिसकी वजह से वह घुटन महसूस कर रहे थे।

पार्टी में रहते हुए भी नहीं होती थी ममता से बातचीत
– 2014 के लोकसभा चुनाव में भले ही ममता बनर्जी ने उन्हें बैरकपुर लोकसभा केंद्र से टिकट दिया लेकिन दोनों के बीच औपचारिक बातचीत नहीं होती थी। इसकी वजह थी कि ममता दिनेश के फोन का जवाब नहीं देती थी और अगर वह मिलने की कोशिश करते थे तो पार्टी के नेता बाधा बनकर खड़े होते थे। इसीलिए 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई में जब ममता ने उन्हें हुगली रिवर ब्रिज कमिश्नर के अध्यक्ष के पद की पेशकश की तो उन्होंने ठुकरा दिया था। वह पार्टी में अपनी नाराजगी का इजहार ही था लेकिन ममता ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद राज्यसभा के लिए नामित किया गया लेकिन तब भी उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश की। हालांकि उस दौरान तृणमूल के नेता बाधा बन गए थे।

पीएम मोदी और शाह के खिलाफ अपशब्दों के लिए बनाया गया था दबाव
– हाल के दौर में उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ बयानबाजी के लिए दबाव बनाए गए थे जिससे उन्होंने साफ इनकार कर दिया था। इसकी वजह से उन्हें उपेक्षित किया गया। पार्टी में कई महत्वपूर्ण फैसलों और बैठकों के कार्यक्रमों में उन्हें सिर्फ इसलिए दरकिनार किया गया क्योंकि वह हिंदी भाषी थे। इसलिए वह काफी पहले से पार्टी छोड़ने का मन बना चुके थे। अब जबकि वह पार्टी में शामिल हो गए हैं तो खबर है कि भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में चुनाव के समय चुनाव प्रचार से लेकर रणनीति बनाने में उनका बखूबी इस्तेमाल करने वाली है।

दिनेश त्रिवेदी को तृणमूल ने कहा धोखेबाज

कोलकाता। पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली। इसके बाद राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें दगाबाज और मौकापरस्त करार दिया है। पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि वह ‘कृतघ्न’ हैं। तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि त्रिवेदी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के साथ विश्वासघात किया। दिन में त्रिवेदी भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘पिछले कई वर्षों में उन्होंने कुछ नहीं कहा। अब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें पार्टी से शिकायत हो गई। वह कृतघ्न हैं और उन्होंने राज्य की जनता के साथ विश्वासघात किया है।’ घोष ने आरोप लगाया कि त्रिवेदी पार्टी में कई पदों पर रहे और उन्हें कई जिम्मेदारियां दी गईं। इस समय जब पार्टी के लिए कुछ करने का समय आया तो उन्होंने विश्वासघात किया। वहीं, तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत राय ने कहा, ‘त्रिवेदी जैसे लोगों ने अपने कार्यकाल में सत्ता का आनंद लिया और चुनाव के समय पार्टी छोड़ दी।’ उल्लेखनीय है कि गत आठ फरवरी को दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा के पटल पर ही सत्र के दौरान तृणमूल कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था।

 

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *